Monday, August 22, 2011

तीन वंश

तबीश  खैर

चर्चित अंग्रेजी कवी. 7 प्रकाशित  पुस्तकें - The Bus Stopped ( novel),  The things about thugs 
(उपन्यास ) - हिन्दू बेस्ट फिक्शन पुरस्कार और मन एशिया लिटररी प्रैयेज के लिए नामांकित किया गया.
 Man of glass, Where parallel lines meet  (कविता संग्रह) , Babu Fictions ( आलोचना  ) , Other Routes ( यात्रा विवरण ) and Muslim Modernity (  निबंध)अर्हास विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं


तीन वंश  

मैं  इकट्ठे करनेवालों के वंश से तालूकात  रखता हूँ
और तुम्हारे गंवाए संकेतों से व्याकुल हूँ
मेरे मन के पीछे भरा हुआ है
कई पीढ़ियों का टूटा फर्नीचेर  
बोतल ,रेडियो, दूर के जर्जर रिश्तेदार
संत फूफी , रजत मीन द्वारा कुतरे गए किताबों के कोने
कुछ भी फेंका नहीं गया हैं
कुछ भी नष्ट नहीं किया गया हैं
किसे भी भूला नहीं गया
इन सबका सबूत हूँ मैं ,
और कुछ अन्य बिखरा गया , फेंका गया हैं
हम रुके समय और जगह को इकटठा करते हैं

यह खर्चीले संकेतों का युग हैं,
सांप के चमड़ों के बिक्री सा खर्चीला
सब कुछ नया हैं
चीजों को अब मरम्मत नहीं किया जाता
लोग फ़ेंक दिए जाते हैं
लेकिन हम पुराने और टूटी हुयी चीजों के रखवाले हैं
यह जरूरत के परे आदत के कारण की जाती हैं
जिनकी जरूरतें ज्यादा हैं , इनकी संख्या अधिक हैं
इनके पास फेंकने के लिए कुछ नहीं हैं , ही मरम्मत करने के लिए
हम उनसे इकटठा करने या  फेंकने को लिया हैं
वे शिकारी हैं जिन्होनें अपने औजारों  को  अभी तराशा  नहीं हैं
इतिहास हार गया हैं
हम शिलायुग की ओर अग्रसर हैं   




क़ुतुब मीनार

अनुभूति
कभी
पर्याप्त
नहीं होता
भाषण
उस पर दावा
करता हैं
कागज
उसे
परिभाषित
करता हैं
पत्थर
तो
इश्वर का
वाक्य बन जाता हैं

4 comments:

  1. bahut khub....Alex hamein accha laga yeh anuvad parh kar...hamara ashirwad aapke saath hain...

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  2. संतोष जी , आप का परिभाषा बहुत खूब लगा.. तीन वंश पढ कर फिल्म आस्ता का एक डायलोग याद आया..(by Ompuri) "आजकल बाज़ार में ज़रूरी चीज़ें नहीं , नयी ज़रूरतें बिकती है.. "

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  3. अच्छी कविताएं... सुंदर आनुवाद। बधाई...

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