Wednesday, March 16, 2011

श्रीकुमार वर्मा
( अंग्रेजी कवि , नाटककार एवं उपन्यासकार . पांच किताबें प्रकाशित जिसमे उपन्यास और नाटक शामिल हैं. कविता और कहानियां देश विदेश में प्रकाशित .)

अनामिका

हम क्या नहीं करते 
गाँठ खोलने के लिए 
और फिर उसे  बाँधने

जागते , हम अपनी आँखों को 
खोलते हैं रात से
चुके  गाँठ और फ़ोन कॉल से अनजान

ऐन्द्रिय सुख से परे

एक बार धरती को चोट लगी
मेरा जन्म हुआ
एक उदात आकाश
कलात्मक रंगों में बिछा
मैं पथ प्रदर्शक था ,
सही धुन बजाकर
कारणों के क्रिया कलापों में तल्लीन

अपनी मौजी यात्रा के बाद जब मेरी मृत्यु हुयी
आकाश बर्फीला हो गया
कीप आकार के फूलों  के  रिबनों
में विवर्ण

 अब ऐन्द्रिय सुख से परे
मेरी स्मृतियों में
चोट लगी धरती अब भी
मौसमों में खिलती हैं