Monday, May 14, 2012

एल थॉमस कुट्टी
युवा मलयालम कवि एल. थॉमस कुट्टी के दो कवि‍ता संग्रह प्रकाशि‍त हो चुके हैं। इसके अलावा थिएटर एवं नाटकों पर भी एक किताब प्रकाशित। थिएटर एवं फोल्कलोर के लिये मशहूर। कोजिकोड विश्‍ववि‍द्यालय के मलयालम विभाग में एसोसिएट प्रोफ्रेसर के रूप में कार्यरत।

बुखार

मैं
मिट्टी का मैला बिस्‍तर
आह, दवाई
एवं मेरा कमरा
बुखार से पीडित है
तेरे पास से
कफ की दुर्गन्‍ध आ रही है
हमारे बैल रूपी श्रृंगार में
पहले से ही बुखार था
पके हुए कौमार्य व
समाधान ढूँढनेवाले प्‍यासों के लिये
सीपियाँ बहती महानदी के
बिम्‍बों के लिये व
इकट्ठे हो रहे पवित्रताओं में
पहले से ही बुखार था
बुखार होते हुये भी
सारे रंगीन नामपट्ट
कल मेहमान बने
हरे से मारून
व सफेद से पीला निकला
बचपन में मैं
रंगों के घोल से
पगला गया
दिशा खोए हुए पतंग सा
मैंने टूटी दीवार पर
उड़ने की कोशिश की
मेरे रास्‍ते को रोककर
परछाइयों ने मुझे
दिव्‍य अनुभूतिहीनता व
शराब के बुरे असर के बारे में
सुबह की रोशनी में
टहनी कटे पेडों के बारे में
बसेरा लेने जगह ढूँढते
कौए के बारे में उपदेश दिया
मैं नींबू का नाश
व बेल की भलाई को भूल गया
मैंने
अकाल व धरती का स्‍त्रोत्र गाया
बुखार ने
सब कहीं उदासी को उतारा
दुनिया एक अपरिचित चीज बन गई
मैं गर्म माथा एवं
काँपते शरीरवाला
एक साधारण बुखार हूँ

मरणोपरांत

राष्‍ट्र के लिये हम
डेढ किलो भारवाले
बच्‍चों को पैदा करेंगे
राष्‍ट्र के लिये हम
नन्‍हे होठों में
राष्‍ट्रभाषा में देशभक्ति ठूँस देंगे
राष्‍ट्र के लिये हम
नन्‍ही पीठ पर दामों की सूची लगाकर
किंडरगार्डेन भेज देंगे
राष्‍ट्र के लिये उन्‍हें
पश्‍चि‍म की दादा-दादी की कहानियाँ
एवं प्रायोजित फीचर फिल्‍म दिखायेंगे
राष्‍ट्र के लिये हम
उनकी छाती को फूलायेंगे
एवं कद को बढा़येंगे
राष्‍ट्र के लिये उन्‍हें
बेरैक में सुलायेंगे
मारे जाने वाले को खानेवाले बनायेंगे
मारने का पाप
मारी गई वस्‍तु को खाने से मुक्‍त हो जाएगा
इस प्रकार नये साल में
मरणोपरांत वीरचक्र को
गले लगाकर रो पडेंगे

Friday, February 24, 2012

यूनानी कवी यानिस रित्सोस की कविता

यूनानी कवी  यानिस  रित्सोस की कविता


लाल रंग के कपडे की
गठरी को सड़क
पर खोला गया
राही उस पर
कदम रखे बिना
छोर से चले
सड़क वीरान थी
दूसरे दिन लारियां
उसके ऊपर से गुजरी
वहां कपड़ा नहीं था
सड़क लाल हो चुकी थी


मैंने उसे अच्छी तरह छुपाया
पहाड़ और लकडहारा
मात्र गवाह

३.
उसने उसका सुन्दर मुखौटा
उतारकर बिस्तर पर रख दी
उसका अबोधगम्य चेहरा
खून से लथपथ लगा
फिर पासा फेंका गया