Monday, May 30, 2011

कठोरपन में तब्दील ताश के पत्ते

सोनेट मंडल
युवा अंग्रेजी कवी. ५ कविता संग्रह प्रकाशित. कविता का प्रकाशन राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओम में . एन्चंतिंग वेर्से पत्रिका का संपादन.कविता का अनुवाद तेलुगु एवं हिंदी भाषा में हुआ है .कई पुरस्कारों से सम्मानित



मूल अंग्रेजी : सोंनेट मंडल
अनुवाद : संतोष अलेक्स 

कठोरपन में तब्दील ताश के पत्ते

दादी माँ के
ख़राब तबीयत की खबर
मेरे ढाल को
भेदने में काफी नहीं था

आंसू
इकट्ठे हुए रिश्तेदार
केवल उत्सव था

चिंता तो
शरीर को सही सलामत
काम करने को लेकर था

भागीदारी माने
भरी सभा में काव्य पाठ करना था

दैनिक काम में
मानव मूल्यों की खुदाई से
मैं अपने ढाल के भार की
चिंता नहीं करता

वह मेरा हाथ थामती है
और
मैं टूट जाता हूँ
मैं अँधा हो गया हूँ ....
उनकी आँखों से
मैंने ममेरे घर को समझा

मेरी प्रेरणा , मेरा प्यारा
दूर गिरजाघर में ,
अब पहले जैसा नहीं होगा
चूँकि वह अब लेटी हैं
मेरा कठोरपन टूटा
मेरा शांत घर
ताश के टुकड़ों सा गिर पड़ा