के . सत्चिदानंदन
( प्रमुख भारतीय कवियों में एक . राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कवी एवं प्रज्ञा के रूप में पहचान )
बच्चे
हमारे कितने बच्चे थे
पैदा हुए दो
पैदा होने से पहले मर गया एक
हजारों को रोक दिया पैदा होने से पहले
जो पैदा हुए हैं सिर्फ वे ही
हमसे दूर चले गए हैं
जो पैदा नहीं हुए वे हमारे साथ हैं
वे तालियां बजाकर हंस रहे हैं , गा रहे हैं
पत्ते व मिटटी में खेल रहे हैं
हमारे न रहने पर भी
वे यहाँ होंगे
मिटटी के महलों के सामने
बीते ज़माने की सीटी बजाते हुए
बरामदे के बाहर के पानी में
केवल चींटी और आत्मा द्वारा चढ़ पानेवाली
कागज का नाव छोड़कर
बारिश में भीगे हमारे
बचपन के संग
वे यहाँ होंगे
( प्रमुख भारतीय कवियों में एक . राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कवी एवं प्रज्ञा के रूप में पहचान )
बच्चे
हमारे कितने बच्चे थे
पैदा हुए दो
पैदा होने से पहले मर गया एक
हजारों को रोक दिया पैदा होने से पहले
जो पैदा हुए हैं सिर्फ वे ही
हमसे दूर चले गए हैं
जो पैदा नहीं हुए वे हमारे साथ हैं
वे तालियां बजाकर हंस रहे हैं , गा रहे हैं
पत्ते व मिटटी में खेल रहे हैं
हमारे न रहने पर भी
वे यहाँ होंगे
मिटटी के महलों के सामने
बीते ज़माने की सीटी बजाते हुए
बरामदे के बाहर के पानी में
केवल चींटी और आत्मा द्वारा चढ़ पानेवाली
कागज का नाव छोड़कर
बारिश में भीगे हमारे
बचपन के संग
वे यहाँ होंगे
A nice translation of a nice poem.
ReplyDeletethank u kalpana ji
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